उत्तर प्रदेश बदायूँ/सहसवान -: अधिवक्ताओं को लेकर हाईकोर्ट द्वारा जारी आदेश को लेकर अधिवक्तागणों में आक्रोश नजर आ रहा है।
अधिवक्ताओं ने कहा कि उच्च न्यायालय द्वारा अधिवक्ता की मृत्यु पर हड़ताल न करने का आदेश जारी करना शर्मनाक है।
अधिवक्ता संघ या बार एसोसिएशन बिना किसी उचित कारण के कार्य से विरत नहीं रहते हैं। एसोसिएशन के सदस्यगण न्यायिक कार्य के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं। क्योंकि यदि वह कार्य नहीं करेंगे तो वादकारियों का हित प्रभाव होगा और न्यायालय में लंबित मुकदमों की संख्या में बढ़ोतरी होगी। अधिवक्तागण एक दूसरे के सुख दुख में शामिल रहते हैं। क्योंकि सभी आपस में भावनात्मक रूप से जुडे रहते हैं। ऐसी स्थिति में किसी साथी अधिवक्ता का स्वर्गवास हो जाता है तो परिवार के एक सदस्य के न रहने से वह शोक संतप्त हो जाता है और वह अपने साथी के सभी संस्कारों में शामिल होने का प्रयास करता है।
अधिवक्ताओं ने कहा कि उच्च न्यायालय के आदेश से ऐसा प्रतीत होता है कि अधिवक्तागणों को न तो अभिव्यक्ति की कोई स्वतंत्रता है और न ही उनकी कोई भावनाऐं हैं। जिसको लेकर आज अधिवक्ता न्यायिक कार्यों से विरत रहे और हाईकोर्ट के आदेश के प्रति अधिवक्ताओं में आक्रोश नजर आया।
बाइट – अतरसिंह शाक्य अध्यक्ष बार एसोसिएशन सहसवान।
बाइट – श्यामबाबू सक्सेना वरिष्ठ अधिवक्ता