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लखीमपुर खीरी-: बज़्म फ़रोगे अदब सोसाइटी की तरफ से यौमे जम्हूरियत के मौके पर तरही मुशायरे का हुआ आयोजन।

उत्तर प्रदेश, लखीमपुर खीरी-: बज़्म फ़रोगे अदब सोसाइटी की तरफ से यौमे जम्हूरियत के मौके पर तरही मुशायरे का आयोजन किया गया। जिसमें दिया गया मिसरा “हमारा नाम निकाला गया कहानी से” पर शायरों ने अपने कलाम पेश किए। मुशायरे की सदारत मशहूर शायर शोहरत अंसारी ने की। मेहमाने खुसूसी नफीस सीतापुरी रहे। निज़ामत डॉ एहराज अरमान ने किया।

खीरी कस्बे के मोहल्ला शेखसराय स्थित मदरसा सुल्ताने हिंद में आयोजित मुशायरे को संबोधित करते हुए अपने अध्यक्षीय भाषण में शोहरत नूरी ने कहा यह एक ऐसी नाशिस्ट होती है, जहां पर छोटे-बड़े सब एक साथ बैठकर एक दूसरे से सीखते हैं। उन्होंने कहा कि इस तरह के आयोजन हर जिले और शहर में होना चाहिए ताकि उर्दू अदब की खिदमत हो सके। इस दौरान उन्होंने अपना कलाम सुनाते हुए कहा-ं मै एक बहता हुआ चाहतों का दरिया हूं, तेरा वजूद है दुनियां मेरी रवानी से।

इस मौके पर डॉक्टर एख़लाक़ ने पढ़ा-

कई घरानों की तहज़ीब हो गई उरियां

गली में खेलते बच्चों की बद ज़बानी से

नफीस सीतापुरी ने पढ़ा- यूं हाथ धो लिए आंखों के कैसे पानी से,

हुज़ूर आप तो लगते थे खानदानी से।

डॉक्टर अहराज अरमान ने पढ़ा-

जो बच सको तो बचो किस्सा और कहानी से, सभी को जाना है एक रोज दारे फ़ानी से।

उमर हनीफ ने पढ़ा –

उसी को सौंप दिया कारे जीनते गुलशन ,जो ना शनास है बिल्कुल ही बागवानी से।

नफीस वारसी ने पढ़ा-

हमारे रंग समाए हैं एक दूजे में, जुदा करोगे भला कैसे पानी पानी से।

अय्यूब अंसारी ने पढ़ा –

ह़मीद बनके ह़िफ़ाज़त की मुल्क की हमने,

हटाए कब हैं क़दम हमने पासबानी से।

सैफुल इस्लाम ने पढ़ा –

कभी तो देना पड़ेगा जवाब तुमको भी

हमेशा बच नही सकते हो आनाकानी से।

बशर हरगामी ने पढ़ा-

अमल के नूर से किरदार को करो रौशन, बढ़ेगा कोट से रुतबा न शेरवानी से।

मंसूर महवार ने पढ़ा-

हमारी आप की तहजीब गंगा जमुनी है, बुझा दो आतिशेशर आमने अमा के पानी से।

आमिर रज़ा ‘ जुगाड’ ने पढ़ा –

जो अपने आप को आमिर खुदा समझते थे, चले गए है वो इंसान भी दरे फ़ानी से।

मो0 जावेद ने पढ़ा – वो दीन से भी गया और इस जहां से भी, कहीं का भी न रहा अपनी बद ज़बानी से।

मो0 आसिफ़ ने पढ़ा- सड़क पर चलते है जो लोग सावधानी से, वो बचते है और बचाते है ना दहानी शिवा।

वसीक अहमद वासिक ने पढ़ा- खनकते सिक्के नहीं थे वसीक इस खातिर,हमारा नाम निकाला गया कहानी से।

नसीम सीतापुरी ने पढ़ा- तवक्को करता है वो शख्स घर में बरकत की, गुरेज़ जिसको है मेहमां की मेज़बानी से।

इस मौके पर काफी संख्या में लोग मौजूद रहे।

 

रिपोर्ट- मोहम्मद असलम, लखीमपुर खीरी।

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